Oct 21, 2019

आतंकवाद और इस्लाम?

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यह वह लोग हैं जो इस्लाम को नहीं मानते क्योंकि इस्लाम को मानने का अर्थ है जमीन में फसाद ना चाहना, जमीन में बगावत ना करना।
क़ुरआन की इस आयत को सुनिए:

((تلك الدار الآخرة نجعلها للذين لا يريدون علواً في الأرض ولا فساداً، والعاقبة للمتقين)) [القصص/ 83]

अनुवाद : और वह जो आख़िरत का घर है हमने इसे उन लोगों के लिए तैयार किया है, जो भूमि में अन्याय और भ्रष्टाचार करने का इरादा नहीं रखते हैं, और अंत तो परहेज़गारों के लिए हे।

इस का मतलब है की वह लोग जो देश में , ज़मीन में , फसाद मचाते हैं , उनका ठिकाना जहन्नम है , वो लोग इस्लाम की तालीम पे अमल नही करते हैं , बल्कि इस्लाम के लिबादे में इस्लाम को बदनाम करते हैं.
आयए में आपको क़ुरआन की एक और ऐसी आयत दिखाता हो जिस से आपके रोंगटे खड़े हो जाएँ गए , और आप खुद कहेंगे की आतंगबाद का इस्लाम से कोई लेना देना नही हे ,बल्कि कुछ संगठन इस्लाम को बदनाम करना चाहते हैं,

क़ुरआन कहता है:

((ولا تبغ الفساد في الأرض إن الله لا يحب المفسدين. ))[القصص/ 77].

अनुवाद: ज़मीन में या मुल्क में फसाद न चाहो इसलिए की फ़साद करने वाले अल्लाह के नज़दीक पसंदीदा नहीं हैं.
आईये आपको एक क़ुरान की ऐसी आयत दिखाता हूँ जो अपने शायद पहले नहीं सुनी हो , जिस को पढ़ कर आपको इस्लाम का सही अर्थ और उसकी हक़ीक़त का पता चले गा.

क़ुरआन कहता है:

مِنْ أَجْلِ ذَٰلِكَ كَتَبْنَا عَلَىٰ بَنِي إِسْرَائِيلَ أَنَّهُ مَن قَتَلَ نَفْسًا بِغَيْرِ نَفْسٍ أَوْ فَسَادٍ فِي الْأَرْضِ فَكَأَنَّمَا قَتَلَ النَّاسَ جَمِيعًا وَمَنْ أَحْيَاهَا فَكَأَنَّمَا أَحْيَا النَّاسَ جَمِيعًا ۚ وَلَقَدْ جَاءَتْهُمْ رُسُلُنَا بِالْبَيِّنَاتِ ثُمَّ إِنَّ كَثِيرًا مِّنْهُم بَعْدَ ذَٰلِكَ فِي الْأَرْضِ لَمُسْرِفُونَ ﴿٣:۵﴾

(source of this ayah translation only )

अनुवाद: इसी वजह से हमने बनी इस्राइल पर (नाज़िल की गई तौरात में यह आदेश) लिख दिया (था) कि जिसने किसी व्यक्ति को बिना किसास के या ज़मीन में फसाद (फैलाने अर्थात खूँ रेज़ी और डाका जनी आदि की सजा) के (बिना हक़) क़त्ल कर दिया तो गोया उसने (समाज के) सारे लोगों को कत्ल कर दिया और जिसने उसे (नाहक मरने से बचा कर) जीवित रखा तो गोया उसने (समाज के) सारे लोगों को जीवित रखा (अर्थात उसने इंसानी जीवन का सामूहिक निज़ाम बचा लिया), और बेशक उनके पास हमारे रसूल स्पष्ट निशानियाँ ले कर आए फिर (भी) उसके बाद उनमें से अक्सर लोग यक़ीनन ज़मीन में हद से आगे बढ़ने वाले हैंl (सुरह मायदा ५:३२)

आप खुद देख लीजिए इंसाफ की नज़र से और इन आयात का इंग्लिश अनुवाद भी देख लीजिये , क़ुरान ने कितने स्थान पे ज़मीन और समाज में फसाद करने से मना क्या हे , तो वो लोग जो मासूमों को क़तल करते हैं उनका इस्लाम से कोई ताल्लुक़ नहीं है , और जो उनको देख कर इस्लाम पे ऊँगली उठा रहा है तो इसका मतलब है उसने इस्लाम को नही पड़ा हे.
पढ़ने के लिए धन्यवाद , में आप से शेयर करनेे नही कहूंगा.
मुहम्मद रागिब

Hi, dear if you think that this article is good and advantageous so kindly comment and share. Thanks

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